बहुरेंगे ऋषि पहाड़ियों के दिन, पर्यटन केन्द्र के रूप में होंगे विकसित

अशोक प्रियदर्शी
रजौली में अवस्थित ऐतिहासिक और पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण लोमस और ज्ञाज्ञवल्क्य ऋषि पहाड़ियों खुदाई का संकट अब टल गया लगता है। इस आशय का जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन ने बिहार के खान एवं भूतत्व को रिपोर्ट सौंप दिया है। जिला खनन पदाधिकारी प्रत्यय अमन ने बताया कि 12 भूखंडों की जांच रिपोर्ट विभाग को भेजी गई है, जिनमें छह भूखंड रजौली स्थित लोमस और याज्ञवल्क्य ऋषि पहाड़ियों से जुड़ा है। जांच रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि ये भूखंड रजौली वन्य जीव अभ्यारण्य इको सेंसिटिव जोन में आता है।
यही नहीं, सीडब्लूजेसी 959/2021 में 20 जुलाई 2021 को जारी आदेश के कारण खनन कार्य बंद है। यह आदेश विनय कुमार सिंह के जरिए दायर याचिका में की गई है। जांच रिपोर्ट में इन छह भूखंडों को बताया गया है कि यह पर्यटन स्थल में आता है। जबकि शेष छह भूखंडों जो नवादा के भदोखरा में पड़ता है, वह पटटा योग्य नही है। इस जांच कमिटि में जिला खनन कार्यालय, नवादा एवं रजौली के वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, पर्यटन शाखा के प्रभारी पदाधिकारी शामिल थे, जिन्होंने 4 जून को स्थलीय निरीक्षण किया था।
गौरतलब हो कि 20 मई 2025 को बिहार के खान निदेशक विनोद दूहन ने गया, नवादा, शेखपुरा, बांका और कैमूर के जिलाधिकारी को अनापति प्रमाण पत्र को लेकर पत्र भेजा था। इस पत्र के जरिए विभाग यह जानने की कोशिश किया था कि वनों से आच्छादित और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण पहाड़ों को छोड़कर शेष भूखंडों पर खनन किया जाना है। इस पत्र के साथ परिशिष्ट क में 33 और परिशिष्ट ख में आठ भूखंडों का जिक्र है, जिसकी रिपोर्ट मांगी गई थी। विभागीय पत्र 2776 दिनांक 20 मई 25 के परिशिष्ट क के 33 भूखंडों के बारे में जिक्र किया गया कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग से पुरातात्विक महत्व के बारे में अनापति प्रमाण पत्र प्राप्त है। खनन विभाग के पत्र के आलोक में जिला पदाधिकारी ने एक जांच कमिटि गठित गई थी, जिन्होंने यह रिपोर्ट सौंपी है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि छह भूखंड पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पटना हाइकोर्ट से रोक लगी है।
गौरतलब हो कि 33 भूखंडों की सूची में रजौली के उन पांच भूखंडों की सूची भी शामिल किया गया, जिस पर पटना हाईकोर्ट से रोक लगी थी। लिहाजा, एक बार फिर लोगों को निराशा होने लगी थी। चूकिं 14 साल पहले ऐसी ही तत्कालीन सीओ के अनापति प्रमाणपत्र के कारण ज्ञाज्ञवल्क्य और लोमस ऋषि पहाड़ी की खुदाई कर दी गई थी। लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता विनय कुमार सिंह ने याचिका दाखिल की थी, जिसमंे पटना हाईकोर्ट से ऋषि पहाड़ियों के खनन पर रोक लगी थी।
पटना हाईकोर्ट ने ऋषि पहाड़ियों को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने और सौंदर्यीकरण का आदेश दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय से भी रामायण सर्किट में जोड़ने की बात कही जा चुकी है। ऋषि पहाड़ियों को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए बिहार पर्यटन विभाग जिला प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी थी। इस दिशा में जिला स्तर पर भी पहल किया जा रहा था। दूसरी तरफ, कला संस्कृति विभाग के अनापति के कारण संशय उत्पन्न हो गया था। लेकिन नवादा जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट से ऋषि पहाड़ियों के दिन बहुरने की उम्मीद जग गई है।