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गौरवशाली रहा है घोसतावां पंचायत का इतिहास, हिंदू और बौद्ध संस्कृति से जुड़ा अतीत 

GHOSTAWAN VILLAGE


अशोक प्रियदर्शी


घोसतावां गांव देवी स्थान के समीप बुद्ध की छोटी मूर्ति है। यह ध्यान मुद्रा की है। एक मूर्ति अभय मुद्रा की है, जिसमें छतरी लगी है। बुद्ध की ऐसी कई खंडित मूर्तियां है। ग्रामीणों के मुताबिक, बड़ी तादाद में ऐसी मूर्तियां थी लेकिन देखरेख के अभाव में सोलिंग के अंदर दब गई। घोसतावां आहर पर भी ऐसी कई मूर्तियां थी लेकिन खुदाई के दौरान मिटटी से दब गई है। बाकी मूर्तियां भी नष्ट हो रही है।


     बिहार के नवादा जिले के सदर प्रखंड के घोसतावां में ऐसी मूर्तियों का मिलना कोई साधारण बात नही है। दरसअल, इसका मतलब हिंदू और बौद्ध संस्कृति से जुड़ा है। यावां और नामा जुड़े गांवों में मूर्तियों के मिलने की बात बौद्ध साहित्य के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। नव नालंदा महाविहार के पालि विभाग के प्रो डाॅ विश्वजीत कुमार कहते हैं कि बुद्धिस्ट मोनास्टिक डिक्शनरी में पठन पाठन के बड़े केन्द्र को विहार और महाविहार कहा जाता था। जबकि जहां लोग निवास करते थे उसे अराम कहते थे। बोलचाल में अराम ही नामा और यावां बोला जाने लगा, जिसे गांवों से जोड़कर कालांतर मंे प्रतिष्ठित किया जाने लगा। वर्षावास के दौरान बौद्ध भिक्षु घनी आबादी के बाहर वास किया करते थे।

      यही नहीं, घोसतावां गांव में हिंदू धर्म से जुड़ी कई पुरातात्विक मूर्तियां है। भगवान भास्कर, देवी और भगवान शिव की मूर्तियां हिंदू धर्म के लिहाज से अहम है। घोसतावां में हिंदू देवी देवताओं की कई मूर्तियां हैं। सकरी नदी पर अवस्थित घोसतावां गांव को घोसतावां धाम भी कहा जाता है। खासकर छठ, कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हजारों की भीड़ उमड़ती है। दूर दराज के लोग घोसतावां मोड़ के समीप आते हैं और मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं। यही नहीं, घोसतावां गांव के कई ऐसे साधु संत है जिनकी राष्ट्रीय पहचान है। वृंदावन, अयोध्या और राजगीर के मठों से साधु संत जुड़े रहे हैं। कई जगहों पर संतों ने ठाकुरबाड़ी बना रखी है। गांव में अक्सर धार्मिक यज्ञ आयोजित करने की परंपरा रही है। घोसतावां धार्मिक समन्वय का भी केन्द्र रहा है। हिंदू मुस्लिम मिलजुलकर रहते हैं। एक दूसरे के पर्व त्योहार मिलजुलकर मनाते हैं।

खेती किसानी जीविका का मुख्य साधन
घोसतावां पुराना पंचायत रहा है। लेकिन मौजूदा समय में पंचायत मुख्यालय पौरा कर दिया गया है। लिहाजा, इस पंचायत में घोसतावां और पौरा के अलावा हरला, खपराही, मंगुरा, दलदलहा और मायाविगहा गांव है। ग्रामीणों की जीविका का मुख्य साधन खेतीबाड़ी है। सकरी नदी के तट पर अवस्थित रहने के कारण खेती काफी उपजाउ है। धान, गेहूं और दलहन के अलावा व्यापक पैमाने पर सब्जी की खेती होती है। स्वास्थ सुविधा के नाम पर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और शिक्षा की सुविधा के लिए मीडिल स्कूल है। पंचायत के लोगों के लिए कादिरगंज स्थित प्लस टू इंटर स्कूल है। शिक्षा की व्यवस्था के कारण नौकरी पेशा रोजगार वालों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। लिहाजा, सौ से अधिक लोग नौकरी पेशा में हैं।

आबादी और साक्षरता
घोसतावां पंचायत की आबादी करीब 16000 है। जबकि साक्षरता दर 70 प्रतिशत है।
घोसतावां (पौरा) पंचायत में आवागमन का मार्ग सुगम है। यह पंचायत नवादा-रोह और नवादा-पकरीबरावां रोड के चैराहे पर है। नवादा सदर से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर है।

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