एक रिकाॅर्ड जिसकी उम्मीद नहीं थी

अशोक प्रियदर्शी
इतिहास गवाह है कि हर बड़े काम की शुरूआत की वजह कोई छोटी घटना रही है। बिहार के दरभंगा-जयनगर के बीच में अवस्थित मधुबनी रेलवे स्टेशन इसका ताजा उदाहरण है। वितीय वर्ष 2016-17 में स्वच्छता के सवाल पर भारतीय रेल के ए केटेगरी के देश के चार सौ रेलवे स्टेशनों में मधुबनी बाॅटम पर था। लेकिन कलाकारों के एक छोटी सी पहल के कारण यह स्टेशन देश के आकर्षक स्टेशनों में शुमार हो गया है। समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम आरके जैन मानते हैं कि अगला सर्वे में यह स्टेशन देश के टाॅप स्टेशनों में शुमार हो जाएगा।
दरअसल, रेलवे के पहल और कलाकारों के उत्साह के कारण मधुबनी रेलवे स्टेशन देश और दुनिया के लिए मिसाल बन गया है। जर्जर सा दिखनेवाला यह स्टेशन अब मिथिला पेंटिंग्स का प्रतिनिधित्व कर रहा है। देखंे तो, यह अनूठा कार्य 13 दिनों के अंतराल में किया गया है। डीआरएम आरके जैन ने इंडिया टुडे को बताया कि यह सब आश्चर्यजनक तरीके से पूरा है। ऐसी नही कल्पणा थी और नही उम्मीद। लेकिन कलाकारों के उत्साह के कारण रेलवे स्टेशन की दीवारें कम पड़ गई।
जैन के मुताबिक, 2 अक्टूबर को जब इसकी शुरूआत की गई थी तब सिर्फ 30 कलाकार थे। लेकिन आखिरी समय में कलाकारों को वापस करना पड़ा। 14 अक्टूबर तक 184 कलाकारों ने इस काम को पूरा कर दिया। ऐसा नही कि कलाकारों को कोई पारिश्रमिक मिल रहा था। लेकिन जब कलाकारों में यह संदेश गया कि मधुबनी स्टेशन पर पेंटिंग के लिए अवसर दिया जा रहा है उसके बाद से खुद कलाकार पहुंचने लगे थे। रेलवे की तरफ से पेंटिंग्स का इंतजाम था।
अब स्थति यह है कि मधुबनी रेलवे स्टेशन का कोई भी भाग ऐसा नही बचा है, जहां मिथिला पेंटिंग्स नही दिखता हो। स्टेशन पर रामायण, कृष्णलीला, विद्यापति, ग्रामीण हाट, ग्रामीण खेल गिल्ली डंडा, मिथिला लोक नृत्य जैसे करीब 20 थीम पर पेंटिंग्स को आकर्षक ढंग से उकेरा गया है। मिसाल के तौर पर रामायण के सीता जन्म से लेकर सीता वाटिका मिलन, धनुष भंग, जयमाल और विदाई को पेंटिंग्स के जरिए बयां किया गया है। रेलवे के मुताबिक, 9200 वर्गफीट में पेंटिंग्स को उकेरा गया है।
रेलवे को भी ऐसी उम्मीद नही थी। शायदइ यही वजह रही कि फाॅल्क आर्ट का इतना बड़ा कीर्तिमान स्थापित किए जाने के बाद भी गिनीज बुक आॅफ वल्र्ड रिकाॅर्ड में दर्ज होने से वंचित रह जाने की आशंका है। आरके जैन के मुताबिक, गिनीज बुक में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। लेकिन जवाब आया है कि इसके लिए लिए पहले सूचित किया जाना जरूरी था। ऐसी उम्मीद नही थी। इसलिए पहले रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को नही अपनाया गया।
हालांकि कलाकारों का मानना है कि फाॅल्क आर्ट (लोक कला) में दुनिया में सबसे बड़ा चित्र है। कलाकारों की संस्था क्राफ्टवाला के प्रमुख राकेश कुमार झा ने इंडिया टुडे को बताया कि अबतक 4566.1 वर्गफीट का रिकाॅर्ड रहा है। लेकिन मधुबनी स्टेशन का पेंटिंग्स इसे दोगुणा भाग में उकेरा गया है। कलाकारों और रेलवे के पहल पर इस काम को पूरा किया गया।
हालांकि लोगों को निराश होने की जरूरत नही है। जैन के मुताबिक, ग्लोबल बुक आॅफ रिकाॅर्डस में रजिस्ट्रेशन स्वीकार कर लिया गया है। लिमका बुक आॅफ रिकाॅर्डस में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। यही नहीं, गिनीज बुक में दर्ज होने की उम्मीद भी नही छोड़ी है। बहरहाल, इनसबों से मधुबनी स्टेशन पहुंचनेवालों को अब मिथिला पेंटिंग्स, जिसे लोग मधुबनी पेंटिंग्स कहते हैं, इससे परिचय कराने की जरूरत नही पड़ेगी।