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दो शख़्स अटलजी का भाषण सुनने के लिए रिक्शा से प्रचार किए, उनमें एक वाजपेयी थे

भाईयों और बहनों आज शाम प्रजातंत्र चौक पर अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण होगा। ज्यादा से ज्यादा लोग भाषण सुनने आइए। चार बजे शाम जब प्रजातंत्र चौक पर भाषण सुनने के लिए लोग एकत्रित हुए तब भाषण देनेवाला शख्स कोई और नही रिक्शा पर प्रचार करनेवाला शख्स वाजपेयी ही थे। उन्हें देखकर लोग चकित हो गए। यह कहानी है 1960 की। जब अटल बिहारी वाजपेयी नवादा आए थे।

दरअसल, जनसंघ के नेता गौरीशंकर केसरी प्रचार के लिए निकलनेवाले थे। तभी अटल जी भी शहर घूमने के बहाने साथ हो लिए थे। स्थानीय लोग गौरीशंकर केसरी से परिचित थे पर अटल जी को नही पहचानते थे। शाम मंे जब मुख्य अतिथि के रूप में भाषण देने लगे तब लोग चैक गए। तब अटलजी ने कहा था कि मैं ही वाजपेयी हूं। बिहार के नवादा से कनेक्शन का यह दिलचस्प उदाहरण रहा है, जिसे बयां किया पूर्व विधायक गौरीशंकर केसरी के पुत्र नवीन केसरी।

नवीन केसरी कहते हैं कि उनके पिता अक्सर इस प्रसंग की चर्चा किया करते थे। यही नहीं, गौरीशंकर केसरी की पत्नी कमला केसरी कहती हैं कि अटलजी करीब दस दफा नवादा आए थे। 1962, 1976 और 1969 में वे हमारे घर पर आए थे। गौरी शंकर केसरी जब.जब चुनाव लड़े वे उनके चुनाव प्रचार करने आए। यही नहीं, गिरजेश सिंह का चुनाव प्रचार करने हिसुआ भी आए थे। सामाजिक कार्यकर्ता मसीह उददीन कहते हैं कि हिसुआ में उन्हें भाषण सुनने का मौका मिला था। अटलजी का विरोधियों पर वार करने का तरीका भी दिलचस्प था।

उनकी सादगी से कार्यकर्ताओं को भी होती थी अचरज

1989 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नवादा की एक सभा में अटल बिहार वाजपेयी

अटलजी की सादगी से कार्यकर्ताओं को अक्सर अचरज होती थी। अटलजी के आने की खबर पाकर कार्यकर्ता नवादा रेलवे स्टेशन के समीप पहुंचे। कार्यकर्ता इंतजार कर रहे थे लेकिन वह इसके पहले वह संघ कार्यालय पहुंच गए थे। भाजपा नेता अरविंद गुप्ता बताते हैं कि नगर के लाल चैक के समीप एक व्यवसायी सौदागर लाल से आर्य समाज मंदिर का रास्ता पूछा था।
यही नहीं, सत्यदेव नारायण आर्य नवादा से चुनाव लड़ रहे थे। तब भी वाजपेयी जी नवादा आए थे। डाॅ अशोक कुमार के मुताबिक, तब उनके घर पर खाने का कार्यक्रम था। डाॅ अशोक के पिताजी उनके स्वागत के लिए एक बड़ा माला मंगवा रखे थे। लेकिन उनके पिताजी पहनाते कि उसके पहले अटलजी ने माला अपने हाथ में लिया और उन्हें पहना दिया।

गौरीशंकर और वाजपेयी के बीच कवि और महाकवि का था नाता

1991 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नवादा की एक सभा में अटल बिहार वाजपेयी

पूर्व विधायक गौरीशंकर केसरी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच कवि और महाकवि का था नाता। गौरीशंकर केसरी एक अच्छे कवि थे। कवि के कारण अटलजी का स्नेह प्राप्त था। भाषण के पहले गौरीशंकर से कविता सुनाने को कहते थे। मुबंई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में आयोजित कार्यक्रमों में केसरी जी की तारीफ किया करते थे। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष केदार सिंह ने कहा कि अटलजी नवादा को राष्ट्र कहकर पूकारा करते थे। 1962 में जनसंघ से तीन विधायक निर्वाचित हुए थे। इनमें नवादा से गौरीशंकर केसरी, सिवान से जनार्दन तिवारी और हिलसा से जगदीश यादव निर्वाचित हुए थे।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रो विजय सिन्हा अटलजी के संस्मरण को याद करते हुए कहा कि 1989 के चुनाव प्रचार में उनका भाषण टीचर ट्रेनिंग मैदान में था। भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। उस भीड़ में धक्का-मुक्की के कारण अटल जी को चोटें आई थी। सभी परेशान हेा गए लेकिन अटल जी जब भाषण देने के लिए मंच पर आए और बोले कि मुझे खुशी है कि अपनों ने धक्का लगाया है।

1989 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नवादा की एक सभा में अटल बिहार वाजपेयी

वरिष्ठ पत्रकार रामजी प्रसाद बताते हैं कि अपातकाल में अटल जी को गिरफ्तार कर पटना से हाजीपुर जेल भेजा जा रहा था। तब मेन रोड स्थित किसान बीज भंडार के मालिक मुनेश्वर प्रसाद से समाचार सुनने के लिए एक ट्रांजिस्टर की मांग की थी। उन्हें तत्काल दिया गया था। उसी ट्रांजिस्टर से जेल में वह समाचार सुनते थे।

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