राजबल्लभ के चुनाव लड़ने का रास्ता हुआ साफ, हुई थी उम्रकैद की सजा, पटना हाइकोर्ट से हुए बरी

अशोक प्रियदर्शी
रेप के मामले में सजा काट रहे नवादा के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को पटना हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद उन्हें बरी कर दिया है। जस्टिस मोहित कुमार शाह और जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। दरअसल, न्यायालय ने सुनवाई के बाद 7 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें गुरूवार को फैसला सुनाया गया है। दरअसल, विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने राजबल्लभ यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन हाईकोर्ट में आरोप साबित नही होने के आधार पर राजबल्लभ को बरी कर दिया गया है।
गौरतलब हो कि 6 फरवरी, 2016 को नालंदा जिले के बिहारशरीफ शहरी क्षेत्र की एक नाबालिग लड़की के साथ रेप की घटना हुई थी। 15 वर्षीय नाबालिग लड़की ने आरोप लगाई थी कि जन्मदिन की पार्टी के बहानेएक घर में ले जाया गया था, जहां नशीला पदार्थ खिलाने के बाद उसके साथ रेप किया गया था।
आरोप के मुताबिक, नाबालिग लड़की बिहारशरीफ नगर इलाके में किराये के घर में रहकर पढ़ाई करती थी। उस दिन सुलेखा और उसकी मां उसके कमरे पर गईं थी। दोनों ने नाबालिग से बर्थडे पार्टी में चलने को कहा था, जिसके बाद नाबालिग जाने को तैयार हुई थी। नाबालिग को लेकर सुलेखा और उसकी मां नवादा के तत्कालीन विधायक राजबल्लभ यादव के मकान पहुंची थी, जहां नाबालिग के साथ राजबल्लभ पर रेप का आरोप लगा था।
20 गवाहों की गवाही के बाद हुई थी उम्रकैद की सजा
15 सितंबर 2016 को कोर्ट में गवाही शुरू हुई थी। हालांकि पटना हाईकोर्ट ने 20 सितंबर को राजबल्लभ को जमानत दे दी थी। तब जमानत के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी, जहां से राजबल्लभ की जमानत खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एमपी एमएलए कोर्ट बनने के बाद यह मामला पटना की विशेष अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया।
पटना के विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने करीब 20 गवाहों की गवाही के बाद राजबल्लभ यादव को दोषी करार दिया था। दिसंबर 2018 में कोर्ट ने राजबल्लभ समेत छोटी देवी, सुलेखा देवी, संदीप सुमन, राधा देवी और तूसी देवी को दोषी करार दिया था। राजबल्लभ को आजीवन कारावास की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना किया गया था। जबकि सुलेखा देवी और राधा देवी को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। तीन अन्य आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। लेकिन अब सभी आरोपी बरी हो गए हैं।
राजबल्लभ के चुनाव लड़ने का रास्ता हुआ साफ
राजबल्लभ प्रसाद बिहार के पहले ऐसे विधायक हुए थे, जिन्हें पद पर रहते हुए उम्रकैद की सजा हुई थी। तब वह राजद के विधायक थे। आरोप के दस दिनों के भीतर राजद ने उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद नवादा सीट खाली हो गया। इसके बाद उपचुनाव हुआ था, जिसमें कौशल यादव निर्वाचित हुए थे। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद ने राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन वह हार गई थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में विभा देवी नवादा से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ी थी, जिसके बाद से वह विधायक निर्वाचित हुई थी। लेकिन अब बरी होने के बाद राजबल्लभ यादव का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि राजबल्लभ किस दल से लड़ेंगे यह अभी स्पष्ट नही है। बता दें कि राजबल्लभ प्रसाद नवादा से चार दफा विधायक निर्वाचित हुए थे। वह बिहार के राजद सरकार में श्रम राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
प्रमुख घटनाक्रम
-6 फरवरी को राजबल्लभ यादव पर नाबालिग के साथ रेप का आरोप
-7 फरवरी को सुलेखा ने लड़की को उसके घर बिहारशरीफ छोड़ा। 30 हजार रुपए दिए और मुंह बंद करने की धमकी दी
-9 फरवरी को नाबालिग ने बिहारशरीफ के एक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
-10 फरवरी को पुलिस नाबालिग को लेकर नवादा स्थित राजबल्लभ के घर पहुंची। इसके बाद बच्ची को राजबल्लभ की फोटो दिखाई। लड़की ने फोटो देखकर राजबल्लभको पहचान लिया। इसके बाद डीआईजी ने राजबल्लभ की गिरफतारी का निर्देश दिया।
-15 फरवरी को राजद ने राजबल्लभ को पार्टी से हटा दिया। इसी दिन पुलिस ने सुलेखा के पति अरुण को गिरफ्तार किया। इसी दिन कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए तत्कालीन विधायक राजबल्लभ प्रसाद के खिलाफ सर्च वारंट जारी किया।
-19 फरवरी को सुलेखा के दामाद संदीप को गिरफ्तार किया गया।
-25 फरवरी को सुलेखा समेत 4 लोग पकड़े गए।
-28 फरवरी को राजबल्लभ के पटना और नवादा स्थितघर को सील किया गया।
-10 मार्च को राजबल्लभ प्रसाद ने कोर्ट मंे सरेंडर कर दिया।