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700 सौ की नौकरी करने वाला अरविन्द का 1.50 करोड़ का कारोबार

BusinessMan Arvind Kumar, Photo Credit-Sarbesh Gautam
 नवादा के महुली निवासी रामचन्द्र प्रसाद की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि अपने बेटे-बेटियों की पढ़ाई पर खर्च कर सकें। लेकिन उनका बड़ा बेटा अरविन्द कुछ पढ़ना चाहता था। बेटे की चाहत को देखते हुए रामचन्द्र प्रसाद ने अरविन्द को पढ़ने के लिए उसके ननिहाल अबकरपुर प्रखण्ड के लेदहा गांव भेज दिया। वहीं के सरकारी स्कूल में प्राइमरी एजुकेशन के बाद बरेव हाई स्कूल तक उसने 10 वीं तक पढ़ाई पूरी की। उसके बाद वह अपने दूर के रिश्तेदार के दुकान में काम करने पटना चला गया।
-रिश्तेदार की दुकान में 700 सौ रूपए से शुरू की नौकरी
अरविन्द बताते हंै कि 10 वीं तक पढ़ाई पूरी होने के बाद 1999 में ममेरे मामा की दुकान में पटना में 700 रूपए की नौकरी शुरू की। 2006 में अपने एक अन्य ममेरे मामा के साथ मिलकर पटना में ही सबर्मसेबुल एवं मोटर की दुकान खोल दिया। लेकिन उन्होंने साल भर बाद ही उससे निकाल दिया।
– 2007 में लखनउ में लगाया कारखाना
पटना में दुकान से निकाले जाने के बाद 2007 में लखनउ में रहने वाले एक अन्य रिश्तेदार ने अपनी पुूंजी देकर मोटर एवं सबर्मसेबुल का कारखाना लगवाया। वहां सबकुछ दोनों के नाम पर था। क्योंकि पूंजी उनकी थी,तो हुनर इधर था। लेकिन 3 वर्षों तक वहां काम करने के बाद उन्होंने भी एक मुश्त 2 लाख रूपए देकर बाहर कर दिया।
-लखनउ से आने के बाद 1.50 लाख रूपए से नवादा में लगाया उद्यम
लखनउ में भी अपने रिश्तेदार से धोखा खाने के बाद अरविन्द 2010 में अपना गांव महुली आ गया। वह बताते हैं कि महुली आने 3 साल की कमाई में मिले 2 लाख रूपए में से 50 हजार रूपए गृह निर्माण पर खर्च किया। शेष बचे 1.50 लाख में से अपनी जमीन पर सबर्मसेबुल एवं मोटर बनाने के लिए कारखाना लगाया। उन्होंने बताया कि शुरूआती दौर में 1 लेथ मशीन से कारोबार शुरू किया। धीरे धीरे उसी पूंजी व कमाई से 2 लेथ मशीन,प्रेस मशीन,ग्रैंडिग मशीन,बफिंग,ढलाई के लिए भट्ठी आदि लगा लिया। अब यहां सबर्मसेबुल मैनुफैक्चिरिंग हो रहा है। जिससे सलाना 3 हजार से अधिक पीस मोटर व सबर्मसेबुल नवादा के अलावे पटना,लखीसराय,गया,जमुई आदि जिलों में सप्लाई हो रहा है।
-बैंक नहीं कर रहा सपोर्ट,सपोर्ट मिले तो बढ़ेगा कारोबार,लोगों को मिलेगा रोजगार
1.50 लाख से कारोबार शुरू करने वाले अरविन्द ने अपने इसी कारोबार में 2 अन्य छोटे भाईयों को भी शामिल कर लिया। तीनों भाईयों ने मिलकर खुद की मेहनत व हुनर से 7 वर्षों में सलाना 1.50 करोड़ का कारोबार खड़ा कर दिया। अरविन्द बताते हैं कि अभी कारखाने में 20 स्टाफ काम कर रहे हैं। बैंक सपोर्ट करे तो 30 और लोगों को राजेगार दे सकते हैं। वे बताते हैं कि डिमांड अभी भी बहुत है लेकिन डिमांड के अनुरूप उत्पादन नहीं हो रहा है। वे कहते हैं कि स्टैंडअप इंडिया के तहत 40 लाख रूपए लोने लेने की अनुमति विभाग से मिली है। सारी कागजी प्रकिया भी पूरी हो चुकी है। लेकिन बैंक मैनेजर 10 प्रतिशत कमीशन मांग रहे थे। उसे देने से इंकार किया तो लोन देने से मना कर दिया। जबकि इससे पहले बैंक मैनेजर ने खुछ आकर स्थल जांच किया था,और संतुष्ट होने के पश्चात लोन के लिए जमीन माॅरगेज करवाया था। उन्होंने बताया कि जमीन आज भी पीएनबी बैंक नवादा के नाम माॅरगेज है लेकिन लोन नहीं दिया जा रहा है। जबकि जमीन माॅरगेज में लगभग 4 लाख रूपए खर्च हो चुका है।

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