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सब का अलग अलग नाटक मंच

बिहार के गांव में अलग अलग मंच हो गए हैं। हर मंच के अलग अलग किरदार हो गए हैं। गणेश नाट्रय संस्था के पुजारी उदय पांडेय ने कहा कि
‘पहले लक्ष्मी नाट्य परिषद में पूरे गांव के लोग एक साथ नाटकों का मंचन करते थे। उसके बाद सरस्वती फंड बना। उससे अलग होकर गणेश फंड बना। उसके बाद बस्ती विगहा में दुर्गा फंड बना। फिर काली फंड बना, हैं। इस तरह से कई नाटक मंडली बन गई। पूजारी उदय पांडेय ने कहा कि ओड़ो में सबसे पुरानी नाट्य संस्था है लक्ष्मी कला परिषद.

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