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दिन में शौच नहीं जाना पड़े इसलिए कम खाती थी प्रियंका, वह कैसे उबरी जानिए ग्रामीणों की जुबानी..

Exclusive post/Ashok Priyadarshi

दो साल पहले नवादा की प्रियंका जब बहू बनकर गाजीपुर गांव पहुंची तब उनके लिए सबसे बड़ी समस्या शौचलय की थी। प्रियंका कहती हैं कि उनके मायके में दो-दो शौचालय थे। लेकिन जब वह अपनी ससुराल गाजीपुर पहुंची तब वहां एक भी शौचालय नही था। लिहाजा, शौच जाने के लिए अंधेरा होने का इंतजार करती थी। दिन के उजाला में शौच नही जाना पड़े इसलिए वह कम खातीं थी। हालांकि यह मुश्किल अब अतीत बन गई है। प्रियंका कहती हैं कि छह माह पहले शौचालय बना जिसके बाद उनकी मुश्किल आसान हो गई है।

गाजीपुर गांव

 

दरअसल, प्रियंका की परेशानी पैसे के कारण नही थी। प्रियंका के पति कुंदन बीटेकधारी हैं लेकिन अंधविश्वास के कारण शौचालय का निर्माण नही कराते थे। आशंका थी कि शौचालय बनाने के बाद मौत हो जाती है। प्रियंका अकेली ऐसी महिला नही थी। बिहार के नवादा जिले के अकबरपुर के गाजीपुर के घर घर की यही कहानी थी। कालो देवी कहती हैं कि शौचालय नही रहने से बहू- बेटियों के अलावा सगे संबंधियों को भी परेशानी होती थी।

क्या था अंधविश्वास

निर्माण शौचालय

200 घरों वाले गाजीपुर में सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य जैसी अधिकांश सुविधाएं थी। गाड़ी, टीवी, गीजर, फ्रीज, आरओ, वाशिंग मशीन जैसी सुविधाएं थी, लेकिन अंधविश्वास के कारण शौचालय नही था। ग्रामीण कारू सिंह कहते हैं कि उनके बड़े भाई की शादी के बाद शौचालय बनाया जा रहा था। कुछ दिन बाद भाई आकस्मिक निधन हो गया। इसके पहले श्यामदेव सिंह के पुत्र का निधन हो गया था। बीच में कुमार अरविंद गांव में शौचालय निर्माण के लिए पहल किया लेकिन दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। अरविंद कहते हैं कि यह सब भ्रम था। अधिकांश लोग शौचालय का उपयोग कर रहे हैं लेकिन कोई अप्रिय घटना नही हुई है। हालांकि दलित टोले में कुछ हिचकिचाहत है।

कैसे मिली अंधविश्वास से आजादी

गाजीपुर गांव

 

स्वच्छता को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा था। कोई ग्रामीण शौचालय बनाने को तैयार नही थे। सुर्खियांे में आने के बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ। श्यामसुंदर सिंह बताते हैं कि ग्रामीणों के साथ अधिकारियों ने बैठक की। फिर भी कोई आगे नही बढ़ना चाहते थे। तब सामूहिक निर्णय लिया गया कि एक बार सभी घरों में शौचालय का निर्माण कराएं जाएं। 2 अक्टूबर 2017 को तत्कालीन एसडीओ शंभूशरण पांडेय और बीडीओ नौशाद आलम सिदिकी समेत कई अधिकारियों ने खुद चपार चलाकर इसकी शुरूआत की थी। अब 95 फीसदी घरों में शौचालय बन गए हैं, जहां बाकी है वह निर्माणाधीन है।

 

जिलाधिकारी ने कहा
जिलाधिकारी कौशल कुमार ने कहा कि सबों के पहल से ग्रामीणों का भ्रम टूटा है। यह समाज के लिए अच्छी बात है। ग्रामीणों को जागरूक किए जाने के लिए अभियान जारी है।

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