पति की मौत के बाद भी नहीं हारी संगीता

अशोक प्रियदर्शी
गया के वजीरगंज के कारीसोवा के लाखपत सिंह की अकेली बेटी संगीता की शादी नवादा नगर के न्यू एरिया निवासी बबलू कुमार से हुई थी। चार साल पहले 40 वर्षीय संगीता के पति की आकस्मिक मौत हो गई। लिहाजा, दो बेटियों और एक बेटे की जिम्मेवारी संगीता पर आ गई। पति का बिजनेस भी बंद हो गया था। संगीता को घर परिवार में समय देने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन वह सामाजिक सेवा में जुड़ गई। अनाथ, गुमशुदा, लैंगिग शोषण और मानव व्यापार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। केन्द्रीय महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा संगीता को असाधारण कार्य के लिए जिला महिला सम्मान से सम्मानित करने का फैसला किया है।
दरअसल, संगीता 2005 में बाल श्रमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का काम की थी। तब से समाज सेवा में जुड़ी थी। फिर बाल कल्याण समिति की सदस्य बनी। फिर तटवासी समाज न्यास में उपसमन्वयक के तौर पर ज्वाइन की। वैसे, संगीता बचपन से जागरूक रही है। वह सातवीं में थी तब शादी हो गई थी। लेकिन ससुराल आने के बाद पीजी की। पति की मौत बाद भी एमएसडब्लू से पीजी की। बच्चों को भी अच्छी तालिम ओर परवरिश दे रही हैं। संगीता कहती हैं कि पति की आकस्मिक मौत की घटना के बाद लाचार हो गई थी। इससे उबरने के लिए सामाजिक क्षेत्र में कार्य शुरू की।