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नीतीश ने कहा कि बिहार आइए, कलाकृति के सुनापन को संवारिए

अशोक प्रियदर्शी
यह तो बहुत सुंदर मूर्ति है। ऐसे मूर्ति की बिहार में खूब जरूरत है। बिहार के राजगीर, नालंदा, गया जैसे कई जगह हैं, जहां ऐसी मूर्तियां स्थापित किया जाना है। कई महत्वपूर्ण भवन बन गए हैं। लेकिन वह खाली है। उस सुनापन को भरिए। इसे अपनी कलाकृतियों से संवारिए। उसमंे जान लाइए। बिहार के लिए भी कुछ काम करिए। यह कहना था बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का, जब शनिवार को मुबंई के मालावार हील स्थित सभागार में आयोजित बिहार फाउंडेशन कार्यक्रम में पद्मश्री ब्रहमदेव पंडित ने सेरामिक आर्ट का गांधी की मूर्ति भेंट किया।
ब्रहमदेव पंडित ने कहा कि काफी समय तक उनकी आर्ट की सराहना की। उनका परिचय लिया। बिहार आने के लिए कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंबई के लिए बहुत काम कर चुके हैं। अब बिहार के लिए भी कुछ करिए। इससे बिहार की प्राचीन गौरव वापस होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में पेंटिंग तो मिल जाता है लेकिन कलाकृतियां नही मिल पाती है। इसके अलावा दो और दुलर्भ कलाकृतियां दी गई। इसकी भी नीतीश कुमार ने खूब तारीफ की। ब्रहमदेव पंडित ने भी बिहार के लिए कुछ करने का मुख्यमंत्री को भरोसा दिया है।
ब्रहमदेव पंडित ने बताया कि गांधी की मूर्ति बिहार म्यूजियम के लिए बनाया था। लेकिन इसी बीच बिहार फांउडेशन के चेयरमैन रविशंकर श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में आमंत्रित किया। लिहाजा, मुख्यमंत्री को भेंट कर दिया। हालांकि दो माह पहले फरवरी में मधुबनी में ब्रहमदेव पंडित ने दस दिवसीय कार्यक्रम में भाग लिया था। तब देशभर के 25 से ज्यादा कलाकार एकत्रित हुए थे। टेराकोटा की कई कलाकृतियां बनाई थी, जिसे राज्य सरकार को सौंप दिया गया है।

क्या है गांधी की मूर्ति की खूबियां
पद्मश्री ब्रहमदेव पंडित ने बताया कि गांधी की मूर्ति मिट्टी का बना हुआ है। लेकिन इसकी खासियत है कि धूप, बरसात और जाड़े में भी बाहर रखने पर नष्ट नही होता है। यह सदियों तक चलता है। दरअसल, यह एक खास किस्म की मिटटी से बनाया जाता है। इस मिटटी को पोरसिलिन कहते हैं, जो गुजरात के कच्छ इलाका से मंगाया जाता है। इस मिटटी से निर्मित मूर्ति को 1300 डिग्री तापमान पर गर्म किया जाता है। इसके चलते यह पत्थर जैसा मजबूत हो जाता है। हथौड़ा से तोड़ने के बाद ही नष्ट हो सकता है।

कौन हैं ब्रहमदेव पंडित
68 वर्षीय ब्रहमदेव पंडित बिहार के नवादा जिले के कौआकोल के भोरमबाग के रहनेवाले हैं। उन्हें कलाकृतियां के क्षेत्र में दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं। 2008 में भारत सरकार ने शिल्प गुरू का सम्मान दिया है। जबकि 2013 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पद्मश्री का अवार्ड दिया है। यही नहीं, ब्रहमदेव पंडित जापान, ताइवान, हांगकांग, सिंगापुर, थाइलैंड, स्पेन, जर्मनी, नाइजीरिया, इंडोनेशिया, वियतनाम और चाइना जैसे देशों में अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन कर चुके हंै। उनके पुत्र अभय पंडित, बहू खुशबू पंडित और पौत्र भी कलाकृतियां के क्षेत्र में दर्जनों पुरस्कार पा चुके हैं।

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