दिव्यांग रामजी अपने अरमानों को पूरा करने के लिये कर रहा है संघर्ष

विकास सोलंकी
सपने तो आसमान छूने का है, लेकिन कदम जरा भी साथ नहीं देते हैं। हाथों के बल पर शरीर को घसीटकर स्कूल की दहलीज तक का सफर तो तय कर लिया है, लेकिन वक्त से साथ चुनौतियां भी लगातार बढ़ती जा रही है। फिर भी सभी चुनौतियों को पार कर आगे बढ़ने और कुछ कर गुजरने की तमन्ना में नित्य परेशानियों का सामना कर आगे बढ़ने के लिए तत्पर हैं दिव्यांग रामजी कुमार राजवंशी। यह कहानी है रजौली थानक्षेत्र के हरदिया निवासी रामजी कुमार राजवंशी की। जिसके कमर से नीचे का हिस्सा बेकार है। बावजूद परिवार पर बोझ ना बनने की जिद को ले रामजी ने आत्मनिर्भर बनने के लिये पटना का रुख कर लिया है।
– आर्थिक स्थिति को नहीं बनने दिया बाधक
दिव्यांग रामजी बताते हैं कि 8वीं तक की शिक्षा जैसे-तैसे पूरी करने के बाद जब उन्हाेंने आगे की पढ़ाई का निर्णय लिया तो कई प्रकार की कठिनाइयां सामने आ गयी। गौरतलब है कि रामजी के पिता मजदूरी कर किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। कई बार भूखे रहकर भी पढ़ाइर् की। ऐसे में आगे की पढ़ाई जारी रखना किसी चुनौती से कम नहीं था। परंतु रामजी की लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत परेशानिया आगे की पढ़ाई के लिए संघर्ष की राह में रोड़ा नहीं बन सकी। आर्थिक समस्याओं के बावजूद परिवार का सहयोग िमलता रहा। गांव समाज के लोगों ने भी छींटाकशी कर उसे राह से भटकाने का प्रयास किया, परंतु कुछ कर गुजरने की तमन्ना ने इन परेशानियों को हंस कर सामना करना सिखाया।
– पटना में रहकर कर रहा है प्रतियोगिता परीक्षा को तैयारी
फिलहाल रामजी पटना सिटी के ईदगाह रोड में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है और कई प्रतियोगी परीक्षा में भी भाग लिया है, वहीं कई प्रतियोगी परीक्षा की प्रारम्भिक जांच में सफलता भी प्राप्त हुई है।
– ट्राईसाइकिल से 3 किमी दूरी तय कर प्रतिदिन कोचिंग करने जा रहा है रामजी
रामजी बताते हैं कि ईदगाह रोड से प्रत्येक दिन 3 किलोमीटर की दूरी ट्राईसाइकिल से तय कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग जाना पड़ता है। कष्ट तो होता है लेकिन परिवार पर बोझ नही बनने की जिद के आगे परेशानियां अवरोध नहीं बन सकी।
– सरकार करे मदद तो उच्च शिक्षा की करूं तैयारी
दिव्यांग रामजी यह भी बताते हैं कि अभी तक सरकारी मदद के रूप में दिव्यांगता पेंशन और ट्राईसाइकिल ही मिला है। रामजी ने बताया कि उच्च शिक्षा की तैयारी कर समाज के सामने मिशाल पेश करना चाहता हूं, परंतु आर्थिक समस्यायें राह में अवरोध बनी हैं। अगर सरकार आर्थिक मदद प्रदान करे तो उच्च शिक्षा का सपना पूरा हो सकता है।