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गूगल के डूडल पर आकाशदीप को मिला अवसर, देश भर के चार प्रतिभागियों में आकाशदीप का चयन

अशोक प्रियदर्शी
प्रतिभा परिस्थितियों का मोहताज नही होता। देश के पिछड़े जिलों में शुमार बिहार के नवादा जिले का आकाशदीप ऐसा ही मिसाल प्रस्तुत किया है। अत्यंत पिछड़ा और नक्सल प्रभावित इलाका सिरदला का आकाशदीप ने अपनी पेटिंग की कल्पणाशीलता के जरिए गूगल को आकर्षित किया है। लिहाजा, 14 नवंबर को बाल दिवस के अवसर पर आकाशदीप को गूगल ने डूडल पर आने का अवसर दिया है। हालांकि इसके लिए चार प्रतिभागियों का चयन किया है। पहला स्थान किसे मिलेगा यह आॅनलाइन वोटिंग के आधार पर पब्लिक को तय करना है। इसके लिए पहली नवंबर से दस नवंबर तक आॅनलाइन वोटिंग किए जाएंगे। अब यह पब्लिक पर निर्भर करता है कि आकाशदीप को कितने लोग आॅनलाइन वोटिंग करते हैं।
गौरतलब हो कि आकाशदीप केन्द्रीय विधालय हीनू में नौवीं कक्षा का स्टूडेंट है। उसे स्कूल में ही गूगल के डूडल पर आने के लिए पेटिंग प्रतियोगिता की जानकारी मिली थी। यह अवसर सातवीं से दसवीं कक्षा के स्टूडेंट के लिए था। लिहाजा, आकाशदीप ने जल संरक्षण का पेंटिंग बनाया है। उसने अपने पेटिंग में जल संकट और उसके बचाव के शुरूआती तरीके को बड़े ही खुबसूरत और आकर्षित तरीके से उकेरा है। वैसे, गूगल ने देश भर से आए पेंटिंग्स में से 12 बच्चों के पेटिंग को चुना था। लेकिन उसमें आखिरी तौर पर चार बच्चों के पेंटिंग्स को चुना गया है। इन चार बच्चों को चार नवंबर को दिल्ली स्थित गूगल कार्यालय में सम्मानित किया जाएगा। उसे क्रामबुक लैपटाॅप दिए जाएंगे। इसके लिए एअर मार्ग से आने के लिए आकाश को आमंत्रित किया गया है।

आकाशदीप का पारिवारिक पृष्ठभूमि
आकाशदीप के पिता संजय कुमार कार्ड छपाई करते हैं। आकाशदीप की मां गृहिणी हैं। आकाशदीप और उसकी बहन श्रृजा केन्द्रीय विधालय हीनू में पढ़ाई करते हैं। लेकिन आकाशदीप को पेटिंग से गहरा लगाव रहा है। लिहाजा, वह स्कूलों में पेटिंग बनाता रहा है। इसलिए वह कलाकृति स्कूल आॅफ आर्ट्स में पेटिंग भी सिखता रहा है। वह हफ्ते में एक दिन पेटिंग के लिए समय निकालता रहा है। आकाशदीप कहता है कि उसके पिता कार्ड की छपाई करते थे। उस छपाई के कारण पेटिंग की रूचि जगी। बचे समय में बेहतर पेटिंग बनाने का शौक रहा है। यह उसी का परिणाम है। उसके पिता कहते हैं कि यह उनके लिए गौरव की बात है कि उनका बेटा पेटिंग में बड़ी पहचान बनाई है।

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