इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बन गए उद्यमी, अब लोगों को दे रहे रोजगार

सर्वेश गौतम
स्आर्ट अप इंडिया का मुख्य उदेश्य उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। ताकि देश में रोजगार के अवसर बढ़े। इस योजना के तहत नए,छोटे बड़े उद्योगों को शुरू करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना है। जिसमें लोन सुविधा,उचित मार्गदर्शन एवं अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराना है। इसमें उद्योग लगाने वालों के लिए टैक्स में छूट व ऋण पर सब्सिडी का भी प्रावधान है। इस योजना का लाभ लेते हुए ही नवादा के राजीव रंजन ने नवादा जैसे छोटे शहर में भी उद्योग लगाकर सफल उद्यमी बनने की दिशा में अग्रसर हो चले हैं।
राजीव रंजन नवादा के समाय गांव के नवीन प्रसाद सिंह के पुत्र हैं। राजीव रंजन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्टार्ट अप इंडिया से प्रभावित होकर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दिए और उद्यमी बन गए। इनके द्वारा लगाए गए उद्योग से सलाना 70-80 लाख का व्यवसाय हो रहा है। जबकि इन्होंने इसकी शुरूआत महज 25 लाख रूपए से की थी।
– प्राइवेट कम्पनी में हुई थी नौकरी
महाराष्ट्रा के श्री तुल्ला भवानी इंजीनियरिंग काॅलेज से इलेक्ट्राॅनिक्स एण्ड टेली काॅम्यूनिकेशन से बी टेक करने के बाद राजीव रंजन को पटना में भारती इंफ्रा टेल में नौकरी मिल गई। लेकिन इसी बीच राजीव के परिजनों ने उन्हे प्राइवेट नौकरी छोड़ सरकारी नौकरी करने के लिए प्रेरित किया। परिजनों की प्रेरणा पाकर उन्होनें तत्काल ही उक्त नौकरी छोड़ दी। और सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। करीब साल भर की तैयारी के बाद उन्हे गेट परीक्षा में शामिल होने का मौका मिला। लेकिन परीक्षा में अपेक्षा के अनुकूल रैंक नहीं मिला। इसी बीच 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्आर्ट अप इंडिया योजना की शुरूआत की गई।
– स्आर्ट इंडिया से कंट्रोल पैनल बनाने का लगाया उद्यम
राजीव रंजन ने स्आर्ट अप इंडिया के तहत नवादा में कंट्रोल पैनल बाॅक्स बनाने के लिए उद्योग शुरू किया। उनके द्वारा लगाए गए उद्यम में सीसीटीवी कैमरा का कंट्रोल पैनल बाॅक्स,चार्जर बाॅक्स,इंवर्टर बाॅक्स,एलटी बाॅक्स,स्ट्रीट लाइट बाॅक्स आदि कई तरह का पैनल बाॅक्स बनवाया जा रहा है। राजीव रंजन बताते हैं कि यहां से विभिन्न कम्पनियों के आदेश पर पैनल बाॅक्स बनाए जा रहे हैं। फिलहाल नवादा सहित गया,जमुई,नालन्दा,शेखपुरा,बेगुसराय,तिलैया,पटना आदि शहरों में सप्लाई किया जा रहा है। उन्होनें कहा कि सीपीयू बाॅक्स बनाने की भी व्यवस्था है,बाजार मिलने पर उसे भी उपलब्ध कराया जाएगा।
लोगों को मिल रहा रोजगार
राजीव ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना से 25 लाख रूपए ऋण लिया। ऋण लेकर उद्योग की शुरूआत की। उद्योग लगने के 5 महीने के भीतर ही व्यवसाय में अच्छी तरक्की हुई है। इसमें 10 से अधिक कुशल श्रमिक के अलावा मार्केटिंग आदि में एक दर्जन से अधिक लोग रोजगार पा रहे हैं। राजीव रंजन बताते हैं कि किसी कम्पनी में नौकरी करता तो सिर्फ मुझे रोजगार मिलता लेकिन उद्यम लगाने से कई लोगों को रोजगार मिलने लगा है।
– उद्योग लगाने में अधिकारियों से हुई थी परेशानी
शुरूआती दौर में जिले के अधिकारियों से सहयोग नहीं मिलने के कारण उद्योग शुरू करने में काफी फजीहत हुई थी। उद्योग लगाने के लिए ऋण लेने के लिए काउंसेलिंग हुई तो डीडीसी द्वारा महज 2 लाख रूपय ऋण मिलने की बात कही थी,जबकि 25 लाख रूपए का प्रोजेक्ट था। आखिरकार इसके लिए प्रधान सचिव से भेंट की। उनकी पहल पर 25 लाख का ऋण मिला। उन्होनें कहा कि अभी भी बिजली विभाग द्वारा यहां बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया है। जबकि कई बार प्रयास किए गए हैं।