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आकाशदीप की पेंटिंग कल्पणाशीलता ने कराया दक्षिण कोरिया की सैर

अशोक प्रियदर्शी
प्रतिभा किसी परिस्थिति और भौगोलिक इलाका का मोहताज नही होता। बिहार के नवादा जिले के नक्सल प्रभावित सिरदला प्रखंड के सिरदला निवासी आकाशदीप ने साबित कर दिखाया है। आकाशदीप को उसकी अपनी कल्पणाशीलता के कारण दक्षिण कोरिया का सैर करने का अवसर मिला है। आकाशदीप को पिछले एक हफ्ते तक कोरिया की निःशुल्क यात्रा करने का अवसर उपलब्ध कराया गया। आकाशदीप को कोरिया में आयोजित होनेवाले ओलंपिक विंटर गेम्स प्रतियोगिता देखने का अवसर मिला। आकाशदीप ने कहा कि दक्षिण कोरिया की यात्रा उनके जीवन के लिए अनमोल उपहार है। उनके हौसले को बल मिला है।

दरअसल, कोरिया और भारत मित्रता चित्रकला के रूप में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस प्रतियोगिता में 21 शहरों के 295 स्कूलों के 22 हजार बच्चों ने भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में बिहार के आकाशदीप, केरल का लक्ष्मी एम विकास, दिल्ली का मुस्कुराहट बजाज, झारखंड का अंकित कुमार और सुमिन्दर कौर को चयनित किया गया था। हालांकि नवादा का आकाशदीप भी झारखंड में रहकर पढ़ाई कर रहा है।

कोरियाई सांस्कृतिक केन्द्र भारत और कोरिया गणराज्य के दूतावास द्वारा प्योंगचांग 2018 ओलंपिक शीतकालीन खेल चित्रकारी प्रतियोगिता के शीर्ष पांच विजेताओं को कोरिया गणराज्य के राजदूत महामहिम शिन बांेग किल ने शीर्ष पांच विजेताओं को पुरस्कार दिया। दक्षिण कोरिया की इस शानदार यात्रा पर उन्हें विदा किया। कोरियाई सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक किम कुम प्योंग ने कहा कि ऐसी प्रतियोगिता का मकसद भारतीय छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन करना है।

गूगल की प्रतियोगिता में भी बेहतर प्रदर्शन
इसके पहले आकाशदीप को गूगल द्वारा आयोजित वेब रेंजर प्रतियोगिता में भी सम्मानित किया गया। गूगल के मुख्य कार्यालय हैदराबाद में सम्मानित किया गया था। आकाशदीप ने पोस्टर में बेहतर प्रदर्शन किया था। यही नहीं, 2016 में भी आकाशदीप अपनी पेटिंग की कल्पणाशीलता के जरिए गूगल को आकर्षित किया था। 2016 के 14 नवंबर को बाल दिवस के अवसर पर गुगल के डूडल पर आने के लिए प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इसमें भी चार प्रतिभागियों में आकाशदीप ने जगह बनाई थी।

पारिवारिक पृष्ठभूमि
आकाशदीप केन्द्रीय विधालय हीनू में दसवीं कक्षा का छात्र है। उसके पिता संजय कुमार कार्ड प्रिंटिंग का काम करते हैं। आकाशदीप की मां गृहिणी हैं। आकाशदीप को पेटिंग से गहरा लगाव रहा है। लिहाजा, वह हफ्ते में एक दिन पेटिंग के लिए समय निकालता रहा है। आकाशदीप कहता है कि उसके पिता कार्ड की छपाई करते थे। उस छपाई के कारण पेटिंग की रूचि जगी। यह सब उनके माता पिताा,बहन श्रृजा और गुरू का योगदान है जिसके चलते उसे उसका हौसला बढ़ा है।

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